: ओये, बौद्ध धर्म को मजाक समझा है क्या? मुझसे तर्क कर। किस धर्म का है तू?
शुभ: धर्ममुक्त। यह बताओ कि गौतम बुद्ध किस धर्म से आये थे?
: हिन्दू धर्म से।
शुभ: हिन्दू धर्म में कितने अवतार माने जाते हैं?
: 24
शुभ्: 23वाँ कौन था?
: गौतम बुद्ध। लेकिन वह ईश्वर में विश्वास नहीं रखते थे।
शुभ: हाँ, क्योकि अवतार खुद ही ईश्वर होता है। वह अपनी ही पूजा क्यों करेगा?
: अब क्या कहूँ? फिर उन्होंने सबसे किसी की पूजा करने से क्यों रोका?
शुभ्: अपने जीते जी किसी अवतार ने अपनी पूजा नहीं करवाई। लेकिन अपने सामने किसी दूसरे की पूजा होते हुए भी नहीं देखा जा सकता।
: फिर उनके अवतार लेने का उद्देश्य क्या था?
शुभ्: मूलनिवासियों (राक्षसों, असुरों) को मनुवादियों (हिंदुओं/सनातनियों) से दूर रखना। अहिंसा का पाठ पढ़ा कर ब्राह्मणो के प्राणों की रक्षा करना। अपने उपदेशों से चोरी न करने, संग्रह न करने, अपरिग्रह यानी मोह न करने के लाभ बता कर ब्राह्मणों को लुटवाने से बचाया।
: लेकिन...उन्होंने तो हिन्दू धर्म की बहुत पोल खोली थी। वह क्यों?
शुभ्: वाल्मीकि रामायण में जब भरत राम को लेने जंगल जाते हैं तो उनका विद्वान दरबारी सुमंत्र चर्वाक मत का प्रयोग करके हिन्दू/सनातन धर्म की धज्जियाँ उड़ाता है।
पूरे 5 पेजों में वह विदुर, पूरे सनातन सम्प्रदाय को झूठा साबित कर देता है। सोचो वह मत उसमें क्या कर रहा है? इसका मतलब वाल्मीकि ने भी हिंदू सम्प्रदाय की पोल उसी के प्रमुख धर्म में खोल रखी थी जो कि बुद्ध के द्वारा किये गए कार्य से एक दम मेल खाता है।
इससे साबित होता है कि गौतम बुद्ध हिन्दू धर्म का ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और सबसे ज्यादा हिन्दू धर्म के ग्रँथों में उनका ज़िक्र किया गया हैं। वाल्मीकि रामायण में भी 2 जगह बौद्ध भिक्षु शब्द (क्षेपक/क्षेपण) आया है।
कल्किपुराण में साफ लिखा है कि शूद्र लोग कलयुग में बौद्ध/चर्वाक मत का प्रयोग करके राजनीति करेंगे। उसी का पालन किया जा रहा है। आप हिन्दू ही हो लेकिन दूसरे यानी नास्तिक मत वाले जो कि अहिंसा करने के लिए दानवों को दिया गया था। हो गई न गूगली?
: शुभ् भाई, थोड़ा पानी मिलेगा?
शुभ्: लो पी लो भाई, तुम्हारे लिये ही रखा था। (वह पीता है) तो मैं आगे यह कह रहा था कि...
: और भी कुछ बाकी हैं क्या भाई? (गड़ब)
शुभ्: अरे अभी तो बस शुरू किया है। यह बताओ ब्रह्मा का आसन क्या है? भाजपा का चुनाव चिंन्ह क्या है और महात्मा बुद्ध का आसन क्या है?
: कमल का फूल।
शुभ्: सही, अब यह बताओ ब्रह्मा और महात्मा बुद्ध के सिर के पीछे जो औरा चक्र तेज़ प्रकाश है वह क्या है?
: शायद देवताओं को दर्शाने के लिये यह एक प्रतीक होता है।
शुभ्: मतलब बुद्ध हिन्दू धर्म के एक देवता ही हैं।
: लग तो ऐसा ही रहा है। लेकिन यार बाकी जो चीन और कुछ देश बौद्ध हैं वे क्या मूर्ख हैं?
शुभ्: आपको क्या लग रहा है?
: मूर्ख ही लग रहे हैं। उनकी फिल्में देखीं हैं। सबमें पिशाच, इच्छाधारी नाग, नागिन, हनुमान जैसा कोई देवता, तरह-तरह के जादू टोने भरे पड़े हैं।
शुभ्: सावधान, अब आप मेरी तरह बोल रहे हैं। क्या कोई तर्क नहीं बचा?
: ये लो भाई इस कागज़ पर मैंने अपना मत लिख कर रख दिया है। मेरे जाने के बाद पढ़ लेना।
उसके जाने के बाद मैंने कागज खोला और पढा, "जय धर्ममुक्त!" ~ शुभाँशु जी 2018© 2018/06/06 01:32
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