आप सभी को बड़ी मेहनत से मुफ्त में जानकारी दी जा रही है तो जो आपको अपने काम की लगे, लीजिये और बांटिए। कश्मीर जी व्यक्तिगत तौर पर कुछ भी हों लेकिन वे केवल पुस्तकों में लिखे सत्य को सामने लाते हैं जिसको कोई प्रतिक्रिया की ज़रूरत नहीं। सहमत हैं तो बस छोटा सा प्रोत्साहित करता हुआ रिप्लाई कर दें। काफी रहेगा। प्रमाणित बात को बहस का मुद्दा न बनने दें। संशय होने पर उनसे सन्दर्भ मांग लें।
मैं काश्मीर जी से मेरे एक पुराने fb मित्र Shailendra Kumar जी के द्वारा तब परिचित हुआ जब मेरा एक नास्तिक समूह के एडमिन के गाली देने पर उसकी रिपोर्ट दूसरे एडमिन से करने पर मुझे बहुत ज्यादा गाली गलौच करके जान से मारने की धमकी देने और ग्रुप से निकालने की धमकी देने पर मुझे ग्रुप छोड़ना पड़ा था। उस दौरान मुझे शैलेंद्र ने इनसे मिलने की सलाह दी कि इनसे मिलिए यह उन एडमिन की तरह पक्षपाती नहीं हैं। तब उनके द्वारा दिये गए लिंक से मेरी इनसे भेंट हुई।
कुछ दिनों बाद पता चला कि इनको भी वही झेलना पड़ा जो मेरे साथ हुआ था उस समूह में। तब हम दोनों ने स्क्रीनशॉट एक दूसरे को दिखाए एडमिनिस्ट्रेशन के और तब हम लोगों को एक दूसरे से सहानुभूति भी हो गई।
Kashmir जी ने अपनी एक वेबसाइट मेरी जानपहचान के बाद बनाई dharmamukt.in.
मुझे उन्होंने इसमें लिखने के लिये आमंत्रित किया। हम दोनों के लेखन में ज़मीन आसमान का अंतर था इसलिये एक ही वेबसाइट पर दोनो का लेखन उलझन पैदा करने लगा। इसलिये मैंने अपनी एक अलग वेबसाइट बनाई और कश्मीर जी ने मुझे अपना डोमेन देकर दोस्ती बनाये रखी।
इसलिए मैंने जो वेबसाइट बनाई उसका नाम zaharbujhasatya.dharmamukt.in पड़ा। ज़हरबुझा सत्य मेरा चुनाव था और धर्ममुक्त.इन मुझे कश्मीर जी ने दिया। मैं सामाजिक/वैज्ञानिक/व्यंग्य/लेख/निबंध/कथा आदि समस्त विषयों पर लिखता हूँ इसलिये मेरी अलग वेबसाइट होना बहुत ज़रूरी था और यह हो भी गया। धन्यवाद कश्मीर जी।
मेरा और कश्मीर जी का बस दोस्त जैसा रिश्ता है जैसा आपसे है। हम दोनों धर्ममुक्त के सिद्धांत पर एक समान हैं इसलिए दोस्त बने। न वे मेरे गुरु है और न मैं उनका। हम सहयोगी हैं बस। हम दोनों बाकी बहुत जगह पर अलग और भिन्न सोच वाले हैं लेकिन एक दूसरे को बदलने की कोशिश नहीं करते। एक दूसरे को चेताते/सावधान ज़रूर करते हैं लेकिन अंत में वही करते हैं जो मन करता है। कोई बाध्यता न मैं लगाता हूँ और न वे।
मेरे और उनके व्यक्तित्व/व्यवहार बिल्कुल अलग हैं जिनके लिये हम खुद ज़िम्मेदार हैं। कृपया हम लोगों को एक सा समझ कर अपनी मूर्खता का परिचय न दें। हर इंसान अपनी खूबियों और कमियों के साथ पैदा होता है जिससे सभी लोग समर्थन नहीं भी रखते हैं। यह मौलिकता ही हमें किसी को याद रखने में मदद करती है।
अतः सभी से निवेदन है कि सभी लोग खुद को समझदार समझें और एक दूसरे को व्यक्तिगत तौर पर हमारे बारे में फालतू बोलने और सोचने पर रोकें, समाज सुधार पर ध्यान दें। न कि अपनी बहन/बेटी के लिये हमसे रिश्ता जोड़ने के लिये व्यक्तिगत चरित्र प्रमाणपत्र देने लगें। वैसे भी वे शादीशुदा बीवी/बच्चेधारी हैं और मैं विवाहमुक्त डेटिंग/लिवइन समर्थक। धन्यवाद।
आशा करता हूँ कश्मीर जी भी मेरी इस बात से सहमत होंगे। आपका प्रिय Mr. Shubhanshu Singh Chauhan, Vegan, Non Religious (धर्ममुक्त)। M.Sc. Zoology, DFD, PGDM, PDCA
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