: ओये, तूने ईसाईयत को मजाक समझा है क्या? चल मुझसे तर्क कर। किस धर्म से है तू?
शुभ: मैं धर्ममुक्त। सूरज और चांद कौन से दिन बने थे?
: चौथे दिन।
शुभ्: दिन और रात का पता कैसे चलता है?
: सूरज के निकलने और अस्त होने से।
शुभ्: चार दिन कैसे गिने सूरज-चाँद बनाने से पहले?
: हाँ यार, आज तक मैंने ऐसा क्यों नहीं सोचा। कैसे गिने पिछले 3 दिन?
शुभ्: मत पूछ भाई, मत पूछ। तुझें तो बताना है।
: भाई, पानी मिलेगा? ज़रा गला सूख रहा है।
शुभ्: बोल तो मैं रहा हूँ, फिर भी ये लो।
: पानी पीता है...
शुभ्: यह बताओ, पृथ्वी पर जब एक तरफ दिन होता है तो दूसरी तरफ रात होती है। यानि सूर्य का अस्त होना जगह के आधार पर निर्भर होता है। तो यहोवा की आत्मा किस जगह खड़ी होकर सूर्योदय और सूर्यास्त की गणना कर रही थी? क्योकि वास्तव में सूर्योदय और सूर्यास्त जैसा कुछ होता ही नहीं। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूम रही है।
: अरे यार, वो आपने क्या बताया था शुरू में?
शुभ्: धर्ममुक्त!
: हाँ वही। विजय हो धर्ममुक्त विचारधारा! धर्ममुक्त जयते! आपकी भी जय हो। मैं भी बन गया आज से धर्ममुक्त! ~ Shubhanshu Singh Chauhan Vegan 2018©
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