निष्कर्ष: बाबाओं की कुटिया से लगातार उई माँ-उई माँ जैसी आवाजों के आने से इस शब्द का उद्भव हुआ। जो कालांतर में उइम होकर ॐ हुआ।
छात्र: क्या सुबूत है इस बात का?
शुभ्: पुरातन काल की बातों का सिर्फ तर्क होता है सुबूत नहीं।
मेनका, उर्वशी की कहानियों में ऋषियों के उनसे सम्भोग का वर्णन है जो वे उनसे अपनी कुटिया में करते थे। जब बाहर आते थे तो वे इसे योग बोल कर अपने कर्म छुपा लेते थे।
उन्हीं आवाजों को लोग जब पूछते तो वे उनसे कहते थे कि वह महिला योग शब्द बोल रही है।
वही शब्द लोगों ने याद करके अफवाह की तरह फैलाया जो बाद में ॐ बन गया।
छात्र: क्यों?
शुभ्: क्योकि अप्सरा की तरह जब चाहे स्वर्ग और मृत्युलोक आजा सकें उसके लिए अप्सरा द्वारा बोला गया प्रत्येक मंत्र महत्वपूर्ण होता था।
यही आज बाबाओं के नित्य कर्म में भी दिखता है। ॐ का उच्चारण सम्भोग की इच्छा दर्शाने के लिये ऋषि बोलते थे जिसे सुनकर अप्सरा चली आती थी। आज भी ॐ बोलने पर यही होता है। बस आज अप्सराओं की जगह महिलाओं ने ले ली है।
~ शुभाँशु जी 2018©
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