मित्र: यार शुभ जल्दबाजी में फैसला मत लिया करो।
शुभ: क्यों?
मित्र: कल आपने जिस आदमी का मुरब्बा बना के पैक करके पार्सल किया है, वह आपसे पिटने नहीं, बल्कि आपको पीटने आया था।
शुभ: ओह मुझे सुनने में गलती हो गई। कल मैंने उससे पूछा था कि क्यों आये हो तो वह बोला, "पिटने"। तो मैंने भी उसे सन्तुष्ट करके भेजा था। अब ये उसकी गलती है कि वह आगे से मात्राओं की गलती न करे।
वैसे एक बात बता, तुझे कैसे पता कि वह क्या करने आया...अबे किधर गया? अभी तो यहीं खड़ा था। भाग गया ससुरा। इसी ने भेजा था।
मिल जाये तो मुरब्बा part 2 भी रिलीज करूँगा। ~ शुभाँशु जी 2018©
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