Nhilism की आड़ में एक नए वैचारिक यायावरों की पीढ़ी पनप गई है। यह वही लोग हैं जिन्होंने ब्लूव्हेल जैसे खेलों को जन्म दिया, सामूहिक आत्महत्या करवाईं और न जाने कितने विद्वानों को मौत के मुहँ में धकेल दिया।
अमरबेल* एक ऐसा ही पौधा होता है जो एक हरे भरे वृक्ष पर उगना शुरू करता है और उसका खून पीकर खुद को बढ़ाता है। यह अपनी ही थाली में छेद करने वालों की तरह होती है। जब यह पनपती है तो पेड़ मुरझाता है। जब यह जवान होती है तो पेड़ वृद्ध हो जाता है। यह इसी वृक्ष के साथ खत्म हो जाती है उसे खत्म करके।
इस बेल के अवशेष हवा के साथ उड़ते हैं और फैलते जाते हैं। इन्हीं की मानव प्रजाति कहलाती है यायावर/घुमंतू/कंजड़/बंजारा आदि। जंतुओं में आंतरिक उदाहरण होंगे फीताकृमि और बाहरी में जोंक।
यह वे लोग हैं जो अपना जीवन यापन किसी व्यापार, खेती या नौकरी से नहीं करते बल्कि जहाँ इनको जो मिल जाता है फलता-फूलता हुआ; उसे नोच कर खा जाना, उसका वंश मिटा देना, उस जमीन पर उगने वाली हर खाने योग्य प्रजाति को खा कर नष्ट कर देना, ज़मीन से बीज तक ख़ाकर उसे बंजर बनाना इनका उद्देश्य होता है। यह वह जगह छोड़ते ही तब हैं जब वह जगह उजड़ जाती है।
उजड़ा चमन छोड़ के नया चमन उजाड़ने चल देते है यह कंजड़/बंजारे। बेमतलब की ज़िंदगी, न कोई मकसद न कोई निश्चित राह। बस नकारात्मक सोच से सींचे हुए अमर बेल की तरह फिर से आबाद को बर्बाद करने निकल पड़ते हैं यह लोग।
अब ऑनलाइन कंजड़ों/यायावरों का क्या मतलब है? ये तो घर में हैं। इन पर सुविधाओं का पूरा इंतज़ाम है। दरअसल यह वैचारिक यायावर हैं। जिनका नकारात्मक उद्देश्य विश्व को निराशावाद में धकेलना और आपस में लड़ा भिड़ा कर समाप्त कर देना है।
यह आपके ऊंचाई पर दिखते ही आपसे जुड़ेंगे और तुरन्त ही आपको हतोत्साहित और तंग करना शुरू कर देंगे। ये आपको गुस्सा दिलाएंगे, और आपको उकसाने का पूरा प्रयास करेंगे ताकि आप एक गलती करो और आपका विध्वंस कर दिया जाए।
जब आप इनको टोकेंगे तो यह कहने लगेंगे, "निंदक नियरे राखिए...
लेकिन आप उनकी तुरन्त निंदा कर दें तो ये आपको ब्लॉक करके भाग जायेंगे। यह इनका बस कवच होता है। खुद निंदा सहने की ताकत इनमें नहीं होती।
यह बस आपकी वह निंदा भी सबको दर्शा कर आपकी क्षवि धूमिल कर देंगे। सकारात्मक सोच कहती है कि नकारात्मक सोच वालों से दूर रहिये। बहुत ज्यादा दूर। नहीं तो यह आपको भी अपने जैसा नकारात्मक बना देंगे। यानी अपने जैसा जूम्बी/यायावर! अब या तो आप इनसे सहमत हो कर इनके समूह में शामिल हो जाइये या फिर यह आपको नष्ट कर देंगे। हतोत्साहित होकर आप लिखना छोड़ देंगे और यह फिर किसी को निगलने आगे बढ़ जायंगे।
वैचारिक आतंकवादी भी कह सकते हैं। यह आपकी हर अच्छी पोस्ट पर कुतर्क करने चले आयेंगे यानी बिना प्रमाण के नकारने। अपनी ही नकारात्मक सोच थोपने। यह ज़ूम्बी हैं। इन्होंने आपको काट लिया तो आप भी इनके जैसे बन जायँगे।
यह खुद घायल होते हैं, किसी लाइलाज बीमारी से जो इनको नकारात्मक सोचने को मजबूर करती है कि सबकुछ सम्भव नहीं।
सावधान। सावधान। सावधान।
जब भी यह शब्द या इनके पर्यायवाची शब्द आपको किसी के प्रोफाइल में दिखें तो समझ जाइये कि आपने एक ज़ूम्बी को पहचान लिया है। यह एक दूसरे को पहचानने के लिये एक पहचान होती है। फिर एक ज़ूम्बी के साथ आपको क्या करना है, शायद मुझे बताने की आवश्यकता नहीं होगी। ~ शुभाँशु जी 2018© 2018/06/03 17:02
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